आर माधवन ने बेटे वेदांत की परवरिश में अपनाई कनाडाई पेरेंटिंग रणनीति, बच्चों को व्यस्त रखना है अहम

बॉलीवुड अभिनेता आर माधवन ने हाल ही में बताया कि उन्होंने अपने बेटे वेदांत की परवरिश के लिए एक कनाडाई परिवार से सीखी गई पेरेंटिंग रणनीति को अपनाया। यह रणनीति बच्चों को हमेशा उन गतिविधियों में व्यस्त रखने की बात करती है जिन्हें वे पसंद करते हैं, ताकि उनका खाली समय नकारात्मक प्रभावों से बचा रहे। माधवन के अनुसार, यही तरीका वेदांत को एक सफल प्रतिस्पर्धी तैराक बनने में मददगार साबित हुआ, और इसके परिणामस्वरूप, वेदांत ने भारत के लिए कई अंतरराष्ट्रीय पदक जीते हैं।

कनाडा में रहने के दौरान मिले पेरेंटिंग सबक

आर माधवन ने अपने करियर के शुरुआती दिनों में कनाडा में अध्ययन किया था। वहां उन्होंने एक परिवार के साथ कुछ समय बिताया, और वही परिवार उन्हें अच्छे पेरेंटिंग सबक देने में मददगार साबित हुआ। माधवन ने हाल ही में Acko द्वारा आयोजित 100 साल की जीवन परियोजना पर राधिका गुप्ता के साथ बातचीत करते हुए कहा, "मुझे विदेश में पढ़ाई करने का मौका मिला और मैं कनाडा के एक छोटे से शहर में रहता था, जो उस समय काफी जंगली था।"

बच्चों को व्यस्त रखने की सलाह

माधवन ने इस बातचीत में साझा किया कि जिस परिवार के साथ वह रह रहे थे, उन्होंने उन्हें एक अहम सलाह दी थी। "उसने मुझसे कहा, 'अपने बच्चे को खाली समय मत दो। जब तक वह किसी काम में लगे हैं, तो वही उनके लिए अच्छा है, ताकि उनका खाली समय न हो।'" माधवन ने यह भी बताया कि बच्चों को मज़ेदार गतिविधियों में व्यस्त रखना चाहिए, ताकि वह काम जैसा न लगे और वे कभी भी नकारात्मक चीज़ों पर ध्यान न दें। उनका मानना है कि बच्चों का दिन भरा होना चाहिए ताकि वे उन चीज़ों से दूर रहें जो उनकी उम्र के हिसाब से उचित नहीं होतीं।

वेदांत की तैराकी यात्रा

वेदांत, जो अब 20 साल के हो चुके हैं, बचपन से ही प्रतिस्पर्धी तैराक रहे हैं। उन्होंने भारत के लिए कॉमनवेल्थ यूथ गेम्स, मलेशियाई ओपन और थाईलैंड ओपन जैसे प्रमुख प्रतियोगिताओं में पदक जीते हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान भी, आर माधवन ने यह सुनिश्चित किया कि वेदांत का प्रशिक्षण बिना किसी रुकावट के जारी रहे। इसके लिए, उन्होंने वेदांत को यूएई भेजा, जहां वह नियमित रूप से अपनी तैराकी प्रैक्टिस करते रहे।

आर माधवन का यह अनुभव यह साबित करता है कि सही दिशा और मार्गदर्शन के साथ बच्चे न केवल खुद को व्यस्त रखते हैं, बल्कि अपने लक्ष्य को पाने के लिए प्रेरित भी रहते हैं। वेदांत की सफलता इस बात का प्रमाण है कि जब पेरेंटिंग में प्यार और समझदारी हो, तो परिणाम निश्चित रूप से अच्छे होते हैं।

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